श्री शनैश्वर देवस्थान शनि शिंगणापूर तहसील नेवासा इस देवस्थान की ख्याति दूर दूर तक किवाड़ हिन् मकान के रूप मे प्रस्तुत है | यह अदभूत करिश्मा पुरे विश्व में प्रसिद्ध है | अहमदनगर जनपद को समग्र महाराष्ट्र श्री संतो की भूमि मानता है | श्री शनि भगवन के बारे में हिन्दुस्थान के सभी लोगो के मन में डर है, आतंक है, जो निहायतही फ़िज़ूल है | अन्य देशो की तुलना मे आप श्री शनि भगवन को क्यों डरते हो हालाकि वह आपका शत्रु नहीं मित्र है | हमारे दैनंदिन जीवन में तेजपुंज तथा शक्तिशाली शनि का अदभूत महत्व है |
हमारा शरीर पंच महाभूतो से बना है, अथः इन्ही का असर हम पर हुआ करता है, ये ही ग्रह हम पर नियंत्रण करते रहते है | शनि सौर जगत के नौ ग्रहों मे से सातवा ग्रह है : शनि का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी से अधिक है | अतः जब हम कोईभी विचार मन मे लाते है, योजना बनाते है, तोह वह प्रस्तावित अच्छी बुरी योजना चुम्बकीय आकर्षण से शनि तक पहुंचती है | अच्छे का परिणाम अच्छा और बुरे का बुरा परिणाम जल्द दे देती है | लेकिन अच्छे का परिणाम अच्छा अवश्य होता है |
महाराष्ट्र – भारत मे तो सब शिंगणापूरकी महिमा से परिचित है, परंतू श्री शनिदेव की कीर्ति सात समंदर पार पहुंची है | सारे जागतिक ख्यति पानेवाले देव्स्थानकी और श्री शानिदेवके दर्शन के बाद , श्री शनि देव पर सामाजिक, धार्मिक, शास्त्रीय, सांस्कृतिक, भौगोलिक, कौटुंबिक, अनुभवके ज्ञानपर आधारित जानकारी सभी भक्तों के लिए उपलब्ध कर रहे है |
श्री शनिदेव
हमारे दैनंदिन जीवन में तेजपुंज तथा शक्तिशाली शनि का अदभुत महत्व है | वैसे शनि सौर जगत के नौ ग्रहों में से सातवा ग्रह है; जिसे फलित ज्योतिष में अशुभ माना जाता है | आधुनिक खगोल शास्त्र के अनुसार शनि की धरती से दुरी लगभग नौ करोड मील है | इसका व्यास एक अरब……
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समाचार और घटनाएं
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प्रसाद स्थान
प्रसादडली बिल्डिंगमधील भक्तगणांसाठी श्रीदेवीचा प्रसाद रोज उपलब्ध आहे.
सुबह 10 से 03 बजे तक शाम में,
शनि की आरती के बाद
प्रत्येक व्यक्ति के लिए कूपन की एक मामूली राशि है
आरती बेल
Coming Soon
उत्सव
Read more →श्री शनि शंकर जयंती, श्री शनिदेवाचा जन्मदिवस विशेष दिवस, मोठ्या उत्साह आणि भक्ती सह साजरा केला जातो.
दरवर्षी ‘चैत्र शुध्द दशामी’ पासून ‘चैत्र वाद्या प्रतिपदा’ पर्यंत, सतत देवाचे नाव आणि ‘ग्रंथराज ज्ञानेश्वरी पारायण’ जप करत आहे.
शनि की आरती
|| श्री ||
जय जय श्री शनीदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा
आरती ओवाळतो | मनोभावे करुनी सेवा || धृ ||
सुर्यसुता शनिमूर्ती | तुझी अगाध कीर्ति
एकमुखे काय वर्णू | शेषा न चले स्फुर्ती || जय || १ ||
नवग्रहांमाजी श्रेष्ठ | पराक्रम थोर तुझा
ज्यावरी कृपा करिसी | होय रंकाचा राजा || जय || २ ||
विक्रमासारिखा हो | शककरता पुण्यराशी
गर्व धरिता शिक्षा केली | बहु छळीयेले त्यासी || जय || ३ ||
शंकराच्या वरदाने | गर्व रावणाने केला
साडेसाती येता त्यासी | समूळ नाशासी नेला || जय || ४ ||
प्रत्यक्ष गुरुनाथ | चमत्कार दावियेला
नेऊनि शुळापाशी | पुन्हा सन्मान केला || जय || ५ ||
ऐसे गुण किती गाऊ | धणी न पुरे गातां
कृपा करि दिनांवरी | महाराजा समर्था || जय || ६ ||
दोन्ही कर जोडनियां | रुक्मालीन सदा पायी
प्रसाद हाची मागे | उदय काळ सौख्यदावी || जय || ७ ||
जय जय श्री शनीदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा
आरती ओवाळीतो | मनोभावे करुनी सेवा ||