प्रस्तुत कलियुग है ओर कलियुग मल – अमल से परिपूर्ण है | आज के इस भीषण काल में हरेक प्राणी इंटरनेट, दूरदर्शन, वयुयान, रेल, कॉम्पुटर आदी के भौतिक सुखो कि अभिलाषा में तीव्र गती से हरपाल दौड रहा है | स्मरण रखें इसी गती से सुख शांती भी उससे कई कोसो दूर चली जा रही है | इस संसार कि भागदौड में कई लोग कहते है कि शनी हमे प्रताडीत करता है ; लेकीन क्यौ ? क्या वे यह समझते है कि शनी निकम्मा बैठ है ? क्या शनिदेव के पास कोई काम नही है ? क्या उसकी सबसे दुश्मनी है ? क्या शनी शत्रू है ? लेकीन मेरा यह प्रमाणिक अभिमत है कि,
” शनी राखे संसार में, हर प्राणी कि खैर,
न काहु से दोस्ती, न काहु से बैर ||’
श्री शनिदेव लोगो को जितना दंड नही देते उससे अधिक लोग उनके दण्ड से डरते है | होता यह है कि लोग मृत्यू से कम मृत्यू के भय से अधिक मरते है | हालाकी शनिदेव शीघ्र प्रसन्न हो जानेवाले देव है | शनी कि भक्ती समस्त शारीरिक, पारिवारिक, सामाजीक, मानसिक, आर्थिक, प्रशासनिक समस्यो ओकी पिडा का हरण होता है | लोगोने शनिदेव का नाम लेकर डराया तो बहुत लेकीन दर को तो दूर कर राहत का प्रयास नही किया है |