महिला वर्ग का आँखों देखा बयान

स्वर्गीय भाऊ बानकर की धर्मपत्नी श्रीमती रुख्मिनी देवी से मै मिला; उनसे कुछेक जागृत अनुभव श्री शनिदेव के संदर्भमे सुनने गया था | तब इकासी वर्षीय रुख्मिनी देवीने पन्द्रह फ़रवरी २००४ को कथन किया की, मुझे और मेरे स्वर्गीय पति को श्री शनिदेव के विचित्र अनुभव देखने मिले है; उदाहरण के रूप में हमारी घर की जयश्री बेटी के पैर में डाले पायल, नुपुर चोर ने तोड़े; बादमें उसने सोने की चैन भी काटी लेकिन थोड़ी देर बाद वह खुद वापिस आया और पायल, चैन डालकर भाग गया | हमारा पूरा संयुक्य परिवार है | कही भी ताला नहीं, दरवाजा नहीं, सारी चीजे खुली रहती है | लेकिन आज तक कुछ भी नुकसान नहीं हुआ | मेरी बहुओं तथा अन्य औरतो से कभी झगडे फसाद नहीं हुए | श्री शनिदेव की कृपासे हम सरे सुखी तथा स्वस्थ परिवार वाले है |

क्या महिलाओं पर अन्याय हुआ?
मैंने अबतक जितने भी श्री शनिदेव को लेकर पुस्तके पढ़ी | तब यह पाया की किसी भी ग्रंथ के अंदर न महिलाओं का उल्लेख है; न अनुभव कथन के लिए मौका दिया है | कही महिलाओं पर अन्याय तो नहीं ? क्योंकि उन्हें यहाँ दर्शन के लिए भी चबूतरे पर प्रवेश पाबंदी है, अतः प्रस्तुत ग्राम की और मंदिर के बगल में रहने वाली गाव की सबसे अधिक उम्र वाली नानी माँ श्रीमती विठ देवी यशवंत बोरुडे जो १०० साल उम्र के आसपास है, जब उनसे दी. १३ फ़रवरी २००४ को मिलकर उक्त संधर्भ में सीधा प्रश्न किया तब उन्होंने बड़ी नम्रता से कहा की,

“भाईसाहब हमारे मन में इस संधर्भ में जरा भी कोई न शिकायत हैं, न संकोच है, हम तो सदा खुश है | हमारे पति या बच्चो, बेटों ने भी चबूतरे पर जाकर दर्शन लिए या निचेसे दर्शन लिया तो भी वह हमारा ही दर्शन है ना! वे पुरुष वर्ग और हम महिला वर्ग में कोई भी अंतर नहीं है, ऊपर चंबुतरे से दर्शन लिया या निचेसे दर्शन लिया तो भी भक्ति, श्रद्धा दर्शन में कोई अंतर नहीं | भक्ति भाव मानसिक सुख पर निर्भर है अतः हम आज कल जो दर्शन निचे से करते है | उसमे भी हमें तस्सली मिलती है|”

श्रीमती विठदेवी से जब दूसरी जानकारी इकठ्ठा करने की कोशिश की; तब उन्होंने कहा ‘हमें पुरे जिंदगीभर किसिसे डर नहीं था आप भी गाव में किसी की भी घर में घुसो, आपको कोई कुछ नहीं बोलेगा| उल्टा अतिथि के रूप में जलपान कराएँगे | हमारे घर में न ताला है, न बक्सा कोई चीज किसी से छिपी नहीं है | बहुओं से भी नहीं, न मेरा कभी किसी बहु से, जेठानी या देवरानी से ना नन्द-फूफी से झगडा हुआ है, हम सरे के सरे हर्ष और उल्हास के साथ रहते है |”

तो दोस्तों, आप चारो धाम भ्रमण करो फिर भी न ऐसा गावं मिलेगा न मंदिर | विठदेवी के घर में भी चोर आये थे, मटके में सोना पैसा रखा था | उन्होंने काफी ढूँढा, तो नहीं मिला, अंत में छोडकर वे चले गए | आगे उन्होंने कहा की दो चोरों ने मंदिर के पास से दो सायकल चोरी कर उठाये और भागने लगे | लेकिन अंत में वे घूम फिरकर मंदिर के पास आकर सायकल रखकर ही चले गए |

प्रस्तुत ग्राम में श्रीमती पार्वतीदेवी दरंदले, इनको भी मै दी २२ फ़रवरी २००४ को मिला, उन्होंने भी बड़ी विनम्रता एवं ताजगी भरे अनुभव कथन किये | सबसे पहले जब मैंने उन्हें चबूतरे से दर्शन की भले ही पाबंदी है | लेकिन क्या फरक पड़ता है ? देवता को यहाँ से हाथ जोड़कर दर्शन मन से ही किया तो भी वह पहुँच जाता है उसके लिए क्या निचे क्या ऊपर से ! मन चंगा तो कठैती में गंगा | प्रस्तुत न्याय से केवल श्रद्धा और भक्ति से में घर से भी शनिदेव का दर्शन पाकर तृप्त हो जाती हूँ |”

श्री प्रमोद होंराओ सी. आय.डी इंस्पेक्टर, पुनि गत ३० वर्षों से वे लगातार शनि शिंगणापुर दर्शन के लिए आते है | सन १९९१ से वे श्री शनिदेव-पंढरपुर पालकी के लिए प्रविष्ट सरे भक्तो को वे एक समय का भोजन प्रदान करते है | सुना है की मुंबई हाईकोर्ट के जज कई दिनों से यहाँ दर्शन के लिए आनेवाले थे; लेकिन आ नहीं पाते थे | किसी न किसी कारण से वे टालते रहे; लेकिन गत साल उनकी कर की चोरी हुई| चोरों ने उसे प्रवर संगम शिंगणापुर के पास छोड़ी थी | जज साहब को जब पता चला की गाड़ी वहाँ पड़ी है | तब वे भागे, दौड़े आये; गाड़ी कब्जे में ली’ और फ़ौरन दर्शन के लिए यहाँ पधारे ! सभी कहते है शनिदेव ने ही उन्हें इस बहाने, दर्शन के लिए यहाँ बुलाया |

जगह

श्री शनैश्वर देवस्थान, शनी शिंगणापूर,
पोस्ट : सोनई, तालुका : नेवासा, जिल्हा : अहमदनगर
पिनकोड : ४१४ १०५. महाराष्ट्र , भारत.

गुगल मानचित्र