श्री शनि मूर्ति के आस पास के देवस्थान
श्री गजानन
किसी भी कार्य प्रारंभ जिसकी पूजा से तथा मंत्रोच्चार से कि जाती है उस विघ्नहर्ता की पहले यहां मूर्ति नही थी | बाद में आश्रम के पूर्वाभिमुख ह.भ.प. गायके महाराज किर्तनकार के मर्गदर्शनसे यहा श्री गजानन प्राणप्रतिष्ठा की गयी |
विविध देवताओं का मंदिर
श्री शनि देव की मूर्तिके सम्मुख पश्चिम ,में श्री विष्णु श्रीशंकर विठ्ठल – रुक्मिणी , श्री कृष्ण , संत ज्ञानेश्वर , संत उदासी बाबा आदि के मुर्तियों की स्थापना मार्च १९९० में की गयी है | प्रस्तुत मंदिर में अखंड नंदादीप जलता है |
ग्रामदेवता लक्ष्मीमाता
श्री शनि देव के चबूतरे के पूरब दिशामें ग्राम देवता लक्ष्मी माता का छोटासा मंदिर उत्तराभिमुख है | मंदिर प्राचीन था, जिसका अब जीर्णोद्धार किया गया है | श्री शनैश्चर की प्राणप्रतिष्ठा पूरी करने से पहले ग्रामदेवता का यह मंदिर जमीन पर ही था |
श्री दत्त मंदिर
श्री शनि देव के पूर्व दिशा में पश्चिमाभिमुख प्रस्तुत मंदिर सन १९७३ में बनाया गया है | मंदिर प्राचीन था , जिसका अब जीर्णोद्धार किया गया है | प्रस्तुत मूर्ति जयपुर से लायी गयी | मूर्ति की ऊँचाई १’.९’ संगमरवर की है | मूर्तिकारने इस मूर्तिमे अपनी कला कुशलता की भव्यता का समग्र पहचान दी है |
समाधियाँ
श्री शनिदेव की मूर्ति की दाहिनी ओर पास में ही समाधियाँ है |
- श्यामबाबा
- उदासि बाबा
- पुरूषोत्तम बाबा
- सतपुरुष बाबा
- भाऊ बानकर