सत्यकथा

दोस्तों! प्रस्तुत ग्रंथ में एक सत्यकथा आपको जानबूझकर कहना चाहता हूँ | आज तक आप लोगो ने श्री शनैश्वर भगवान की विपुल कथा करिश्मा साक्षात्कार सुना तथा देखा होगा लेकिन जुलाई १९७८ की सत्यकथा हमारे मन को झकझोर देती है | में तेरह मई २००६ शनिचर के दिन शिंगणापुर ग्राम में श्री शनैश्वर भगवन के संधर्ब में कुछेक सत्यानुभाव लेने ढूँढने खोजने के लिए प्रा. शिवाजीराव दरंदले के साथ श्रीमती धोंडीराम दर्न्दले की बस्ती में प्रविष्ट हुआ था तब उन्होंने मुझे जो स्वानुभव कथन किया उसे सुनकर तो में दातोंतले ऊँगली दबाने लगा |

श्रीमती चंद्रभागाजी श्री शनैश्वर स्वामी का महात्मा कथन करते करते काफी प्रभावित हुई और यु कहने लगी की मेरी उन दिनों नवब्याहिता लड़की सुश्री साखर देवी कराले शिंगवे पाथर्डी तहसील ससुराल से मैके शनि शिंगणापुर हमारे घर आयी थी , नववधू होने के कारन उसके बदन पर सभी प्रकार के गहने चमक रहे थे | उसी दिन दुपहर चार अज्ञात लोग भिक्षा के बहाने हमारी बस्ती के घर में जैसे प्रविष्ट हुए उन्होंने भिक के साथ साथ हमारे दोनों के गहने भी देखे और मन ही मन हर्षित हो गए | हमारे मन में कोई दर नहीं था हमने भिक्षा दे दी और घरमें आ गए |

लेकिन उसी रात लगभग एक डेढ़ बजे वे चार अज्ञात भिखमंगे हमारे गहने चुराने के इरादे से हमारी बस्ती के घर में आ गए | मैंने मन ही मन सोच लिया की वे गहनों के इरादे से ही आये है और थोड़े ही पल में वह सभीत हुआ भी | उन्होंने हमारे इन गहनों के इरादे से हमारे घर वालो के साथ हो हल्ला मचा दिया, संघर्ष जरी हुआ | इसे देखते हुए में और मेरी लाडली बेटी साखर देवी वहाँ से खिसकने के इरादे से हमारे ही सामने १०० मीटर की दूरी पर स्थुथ श्री अण्णासाहेब काशीनाथ दरंदले के मकान की और उन चारो के सामने ही निकल पड़े |

किन्तु क्या अदभुत, हम उन्हें देखकरवहाँ से निकल रहे थे हम उन्हें साक्षात् देख रहे थे फिर भी वे हमें नहीं देख रहे थे | श्री शनैश्वर भगवान के चमत्कार से साक्षात् यह सह्निदेव उन चारो से गहनों तथा हमारा रक्षण कर रहे थे | और उन चारो को हमारा उनके सामने से जाना दिखाई नहीं दे रहा था मनो वे अंधे नहीं हुए थे लेकिन प्रत्यक्ष उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था | उनकी आँखों की रौशनी तत्काल गायब हो गयी थी | इस शनैश्वर भगवान की दया से उस दिन हमारा तथा गहनों का रक्षण हुआ इस सत्यकथा से में और मेरे पतिदेव श्री धोंडीराम तुकाराम दरंदले श्री सह्नैश्वर भगवन की रात दिन सेवा भक्ति करते है |मेरे आखों देखि सत्यकथा से शनैश्वर भगवन के महात्म्य से में और नतमस्तक हुई हूँ |

प्रस्तुत सत्य दृष्टांत श्रीमती चंद्रभागादेवी ने हमारे फिलहाल के ट्रस्टी श्री साहेबराव तुकाराम दरंदले के सामने सम्पन्न होने की खबर से भी मुझे अवगत किया | इसलिए शायद यह पूरा कुनबा श्री शनिदेव भगवान की अटल श्रद्धा शक्ति करिश्मा को देखकर ही नित्नायी भक्ति में लगे हुए है इसी का पुण्य प्रताप से शायद चंद्रभागा देवी का बड़ा बेटा आज श्री शनैश्वर देवस्थान अध्यक्ष के रूप में ओहदेदार है | फलस्वरूप हमारे नए अध्यक्ष आज सभी भक्तो तथा यहाँ के नागरिको के कल्याण सेवा हेती रात दिन जुटे है |

जगह

श्री शनैश्वर देवस्थान, शनी शिंगणापूर,
पोस्ट : सोनई, तालुका : नेवासा, जिल्हा : अहमदनगर
पिनकोड : ४१४ १०५. महाराष्ट्र , भारत.

गुगल मानचित्र