एक संक्षिप्त परिचय

  • जीवन के हर्षित पल मे भी शनिदेव कि प्रशंसा करो !
  • आपत काल मे भी शनिदेव का दर्शन करो !
  • मुश्कील पीडादायक समय मे भी शनिदेव कि पूजा करो !
  • दुखद समय मे भी शनिदेव प्र विश्वास करो !
  • जीवन के हर पल शनिदेव के प्रती कृतज्ञता प्रकट करो !

प्रस्तुत इन पाच सुत्रो मे श्रीमान घुले जी ने हमारा संपूर्ण जीवन तथा शनिदेव के रिश्ते को लेकर परस्पर पूरक तथा अन्य मिश्रित संबंध पर सटीक प्रकाश डाला है |
मैने एक स्थानपर शनिदेव को न्यायाधीश कहा, ओर सचमुच एक प्रसंग ऐसे हि संपन्न हुआ | गुजरात स्थित गांधीनगर के पास मे ‘रूपल’ देहात है, जहा पाली का वार्षिक महोत्सव मे एक साथ २५०० किलो घी उत्सव मे समर्पित किया जाता है ; जो अपने आपमे एक रेकॉर्ड है | फलस्वरूप दुसरे दिन यह घी रास्तेपर उडेल दिया जाता है, जिसे गरीब लोग उठ-उठकर भोजन मे प्रयोग करते है | प्रस्तुत प्रसंग के आधारपर जनहित याचिका एक ने दायर कि थी; अत: फैसला के रूप मे एक आक्तुबर २००३ को अहमदाबाद हायकोर्ट ने कटाक्ष किया है कि –

”जैसे महाराष्ट्र के शनी शिंगणापूर के देवस्थान ने वहा के समर्पित सहस्त्र लिटर तेल इकठ्ठा कर सोप – साबून बनाने के लिये कारखाने को टेंडर देती है ओर बदलणे मे भक्तो के लिये,देवस्थान के लिये ३० करोड के विकास कार्य करते है ; उसी प्रकार २७ देहातो का इकठ्ठा किया हिवा यह २५००० किलो घी का भी ऐसे हि जनहिताय प्रयोजन करणा चाहिये; निर्णय घोषित किया |”

गोस्वामी तुलसीदास के ‘रामचरीतमानस’ मे त्रेता युग के रामराज्य को जो सुंदर वर्णन मिलता है, वह हुभहुभ शिंगणापूर पर लागू है –

”लेकीन समृद्धी एव अलौकिक सुख कि पूर्ण समरसता है | संपूर्ण आयोध्य नगरी रत्नजटीत महलो से भरी है | घर घर मे मनी-दीप शोभा पा रहे है | यः न कोई दरिद्र है, न दुखी ओर न दिन है | चारो ओर सुंदरता एव पवित्रता का सामराज्य है | सभी आयोध्यवासी स्वस्त ओर सुंदर है | रंग-बिरंगी पुष्प वाटिकाए, उद्यान एव राजमार्ग नगर को स्वर्ग तुल्य बना रहे है |”

जगह

श्री शनैश्वर देवस्थान, शनी शिंगणापूर,
पोस्ट : सोनई, तालुका : नेवासा, जिल्हा : अहमदनगर
पिनकोड : ४१४ १०५. महाराष्ट्र , भारत.

गुगल मानचित्र