श्री शनिदेव कि विशाल अनुकम्पा से यदि आप शनी शिंगणापूर में दर्शन के लिए आकार जो मूर्ती देखोगे वह साधारण नही अपितु ‘ स्वयंभू मूर्ती ‘ है | १५ फिट लंबे तथा १५ फिट चौडे चबुतरे पर साक्षात शनी भगवान यहा कैसे प्रविष्ट हुई इसकी एक सच्ची कहाणी है |
आज जहा श्री शनिदेव भगवान प्रविष्ट हुये है वहा छोटीसी बस्ती थी ; कुल बीस-तीस कुटीया होगी | आज से लगभग ३५० वर्ष पहले भगवान यहा अवतरीत हुए, तब से आज तक वे वही टिके हुए है | आज कि भाती तब न यहा इतनी आबादी थी ; न सुख सुविधा के रास्ते तथा वाहन थे | पहले यहा काफी घास तथा पेड थे ; आसपास कीचड, पौडे तथा खेती थी | भक्तो कि सुविधा के लीए आज डामर कि सडके तथा भक्त निवास एवं खानपान हेतू प्रसादालय है ; जो पहले यह सब नदारद था | आज सरकार, गाववालो के सहयोग तथा शनिदेव भगवान के नाम से बने ट्रस्ट के योगदान से काफी चहल पहल नजर आ रही है |