श्री क्षेत्र त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ मेला नगरी के स्वामी निर्वाणदास उदासीन के डॉ. बिंदूजी महाराज ने कथन किया है कि . ” भगवान शनिदेव का यह मंदिर उदासीन स्म्र्पदाय के महपुरुष द्वारा सुचारु रूप से चलती है और आतिथ्य सेवा होती है | ”
इसी प्रकार कीटगंज लाहाबाद के महंत महेश्वर दास उदासीन श्री पंच रामेश्वर जमात ने यहाँ दर्शन लेकर कहा है ,” यह अदभुत परंपरा के कारण दर्शनिय स्थल है, वही धार्मिक निष्ठा और हिंदू वैदिक सनातन धर्म का अदभुत नजारा प्रस्तुत करता है | भगवा वस्त्र , कटी वस्त्र धारण कर प्रभु दर्शन श्रेष्ठ परंपरा का प्रतिक है | श्री शनि महाराज का दर्शन कर ; अभिषेक कर , बीज मंदिर के दर्शन कर धन्य हुआ | स्थान अति सुंदर , मोहक तथा शक्तिशाली है , व्यवस्था उत्तम तथा सुन्दर है | ”
सोनई गांव के शनि भक्त श्री नवनीत सुरपुरीया के जीवन में १६ अगस्त २००३ की आपबीती आज भी स्मरण हो जाती है | वे इसी दिन सुबह नौ बजे स्व:भाऊ बनकर की दशक्रिया विधि हेतु शिंगणापुर आ रहे थे, कि रस्ते में २ कि. मी. पर पाईप से भरी बैलगाड़ी खड़ी थी | जैसे ही मोटर सायकल से बगल से निकल ही रहे थे कि; अचानक गाडी टेहो गयी , बैलगाडी झुंझला गई और पाईप अग्र भाग श्री शनि भक्त नवनीत जी को लगते ही वे घायल होकर नीचे गिर पड़े | और कण्ठ से खून के बौछारें निकलने लगी; किसी को उम्मीद नहीं थी कि वे जिंदा बच पाएंगे | लेकिन अस्पताल में ओपरेशन आदि के साथ-साथ शनिदेव का जप भी चलता रहा और वे थोड़े ही दिनों में पुनश्च तंदुरस्त हो गए | वे मानते है कि शनिदेव ने मुझे दुबारा जीवनदान दिया है | अत: उन्होंने मंदिर में भक्तो के लिए अंगारा पॅकिंग कि मशिन भेट कि ; ज्यों एक घंटे में २००७ अंगारा पॅकेट तैयार करती है |
सोनई के ही दूसरे बाबा है जिन्हें ‘ रक्तपीती ‘ रोग था ; लेकिन फिर भी पैदल शिंगणापुर हर रोज आता था | फलस्वरूप आज वह भले चंगे हो गए है | यह भी शनिदेव का ही कृपा प्रसाद है | बगल के राहुरी तहसील के उंबरे गाव का एक लडका जिसे ‘ पॅरोलिसीस ‘ हुआ था | फिर भी वह हर रोज यहाँ आकार दर्शन लेता था | आज वह भी अच्छा चलता फिरता है | ऐसे एक नहीं सेकड़ों मिसाल शनिदेव कि कृपा से सम्पन्न हुई है |