मनुष्य के जीवन में सुख दु:ख ओतप्रोत है | लेकीन वह सारा रहस्यमय बना हुवा है | अत: सुर्ष्टी के इस चराचर बन्धन में जोतिष शास्त्र तथा अध्यात्म का अपना बडप्पन है | कम्प्यूटर तथा इंटरनेट के युग में भारतीय ज्योतीषाचार्या ने जो कुछ कहा, उसके प्रयोग पाश्चात्य राष्ट्रो में संपन्न हो रहे है | आज आमरिका में भारतीय अध्यात्म तथा जोतिष कि धूम माची हुई है | इस भागदौड के युग में मनुष्य को शांती नही मिल रही है | आज हमारा जीवन भौतिक समृद्धी होते हुए भी कलह, तणाव, बिमारी, घातपात, शक, दुश्चिता आदी से भर पडा है | हमारे चारो ओर हाहाकार सुनाई दे रहा है ! न सब से उब कर आदमी शनी के सानिध्य में जाने कि कोशिश कर रहा है ; क्यौ ?
श्री शनिदेव के संदर्भ में भारतवर्ष में जैसे पौराणिक आख्यान प्रसिद्ध है ; वैसे युरोपीय साहित्य में भी शनी के बारे में विविध कथा पढने को मिलती है | इटली में शनी को सेटर्न (saturn) देवता कहकर सम्मान करते है, पूजा करते है | प्राचीन तथा अर्वाचीन रोमक प्रस्तुत सेटर्न एवं शनी को ग्रीस के लोग पौराणिक देवता क्रोनास (cronus) संबोधन करते है | सेटर्न या क्रोनास के बारे में विदेशो में विपुल कथा तथा चमत्कार है | हमारी हि जैसी स्थिती वहा भी है, इसलीए ‘ वसुधैव कुटुम्बकम ‘ कहा गया है |
ज्यो ज्यो भौतिक साधन समृद्धी बढती जा रही है ; जीवन त्यो त्यो तणाव युक्त होता जा रहा है | हमारा कर्म जितना कुशल होगा, उतना हि उत्तम फल प्राप्त होगा | यह शाश्वत सत्य है कि हमारा शरीर पंच महाभूतो से बना है, अत: इन्ही क आसर हम पर हुवा करता है, ये हि ग्रह हम पर नियंत्रण करते रहाते है | श्री शनीदेव कि विशाल अनुकम्पा से शिंगणापूर के स्वयंभू शनिदेव महाराज के दर्शनो क सुअवसर कई बर प्राप्त हुवा | मैं स्वयं शनी का भक्त हु | पूजा – अर्चा, व्रत – वैकल्य नितनियाम करता हु | इन्ही कि कृपापात्र से लिखने का आदेश हुवा |
प्रस्तुत ग्रंथ में शनी कथा, शनी इतिहास, शिंगणापूर का दुनिया में स्थान, स्वयंभू मूर्ती, शनी चतु: सूत्री, साडेसाती तथा उपाय, शनी कि विशेषताए, शनी कि पूजा क्यौ और क्या क्या, शनी स्तवन, उपास्य देवता, शनिदेव के उत्सव तथा त्योहार, आश्चर्य जनक देवालय, कौल लगना, विपुल सौदाहरण, शिंगणापूर का महत्व, वीश्वविख्यात खासियत, उदासी बाबा, भाऊ बानकर, अन्य देवस्थान तथा महत्वपूर्ण सूचनाए सम्मिलित है | कृपया पढकर अनुभवो से अवगत करे |
Prof. Dr. Bapu Rao Desai.