न्यायमूर्ती

स्मरण रखें हमारे विचार से श्री शनी भगवान परम न्यायाधीश है | संसार में जातक जब – जब लोभ, हवस, गुस्सा, मोह से प्रभावित होकार व्यक्ती अपना संतुलन बिघाड लेता है ओर जनते हुए अपने चहूओर अन्याय, अत्याचार, दुराचार, अनाचार, पापाचार, व्यभिचार को सहारा देता है ओर अंधेरे में लुक छीपकर बिना किसीको बताए बुरे कर्म करता है | वह यह भूल के समज बैठता है कि मै जो कुछ कृत्य कर रहा हु उसे अब कौन देख रहा है ? फलस्वरूप कुकर्मा को धड्ल्ले से कर परम प्रसन्न होता है | वह अहंकार में अपने को सब कुछ समझ बैठता है यांनी साक्षात भगवान को भी वह नकरता है ओर स्वयं को ईश्वर समझता है | अत: ऐसे व्यक्तीको, जातक को अपनी मर्यादा समझने हेतू, उसे जागृत करणे के लिये, आत्मपरीक्षण तथा आत्मचिंतन हेतू शनिदेव उसे दंड देता है | साढे सती लगती है, ऐसे कार्यकाल में शनिदेव न्यायमूर्ती बनकर उसे सजा देकर सचेत करता है | स्मरण राखे शनी कि सूक्षम दिव्या दृस्ठी है, दुसरा वह कर्म का फळदाता है, तिसरा जिसने जो कर्म किया है, उसका यथावत भुगतान कराते है | कर्मो का भुगतान हि शनिदेव सुख दु:ख रूप में निरंतर प्रदान करते है |

जगह

श्री शनैश्वर देवस्थान, शनी शिंगणापूर,
पोस्ट : सोनई, तालुका : नेवासा, जिल्हा : अहमदनगर
पिनकोड : ४१४ १०५. महाराष्ट्र , भारत.

गुगल मानचित्र